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भीख नहीं अधिकार चाही , हमरा मिथिला राज्य चाही।


मिथिला राज्यक सपना अप्पन दिल में हम बच्चे सा संजोने छी। हमरा ता ई समझ नै आबैया मिथिला सा अतेक नेता भेलाह और पैघ स पैघ संबैधानिक पद पर रहितो कियो चिंता त दूर ध्यानो नहीं देलाह. हम नाम नहीं लेब अपने सब के बूझल ऐछ। अगर इतिहास पर नज़र डालब त मिथिला संग अतेक बेईमानी देखि क देह सिहरी जायत, अंग्रेज के जमाना में 1834 में मिथिला दू भाग में बटी गेलै…आजादी के बाद मिथिला में उद्योग धंधा बंद भय गेलै , लोग गरीब भ भोजन के तलाश में मिथिला स भागय लगलई ।आखिर एहन अन्याय मिथिला संग किया भेलै ??????

कनी सोचु त .............................आज़ादी स पहिले मिथिला विश्व में प्रसिद्द छल , आ आई आजादी के 60 साल बाद की भ गेलै… मिथिला बम लेल कहियो प्रसिद्ध नहीं भेल बुद्धि लेल प्रसिद्द ऐछ ...कहै छई एकर पैन आ माईट में की छै जे अतेक विद्वान पैदा होई छै ….पैन प्रचुर, उत्कृष्ट मानव संसाधन उत्कृष्ट भूमि संसाधन ...एकर बाबजूद हम गरीब छी । कनि सोचु त…. मिथिला में अतेक पैघ लोक भेलाह कियो अई पर ध्यान नहीं देलक, सब अपने पेट भरै में लागल रह्लाह …राजनितिक लोक के सबसे पहिने सोचै के चाही छलैन। मुदा कियो ध्यान नहीं देलाह। कतेको अपमान आ कष्ट सा मिथिला गुजर रहल ऐछ। ई सचमुच में बड्ड पैघ मुददा ऐछ। हमरे युवा सब के किछु करय पडत। हमरा ता पूरा विश्वास ईच्छ इ युवा पीढ़ीये किछु क सकैत ऐछ. राजनेता अगर किछु नै केलाह ता युवा वर्ग हुनका हिलाबई के सेहो क्षमता रखैत ऐछ.

हम एकटा बात स्पष्ट कही दी ....हम त अप्पन पिताजी श्री विनोद नारायण झा सकहलियैन पापा अहाँ भाजपा के बिहार प्रदेश के वरिष्ट नेता छी। बिहार विधान सभा में वरिष्ट सदस्य के अलावा अनुभवी और जानकार छी . एकटा बात अवश्य ध्यान राखव .. संबैधानिक पद पर जनता के बदौलत विधान सभा में मिथिलांचल स प्रतिनिधित्व क रहल छी …मान लौ अहाँ अप्पन क्षेत्र के लेल बहूत काज क रहल छी , मुदा एकर अलावा संपूर्ण मिथिला वासी अहाँ स बहूत उम्मीद आ आशा राखैत अछि। मिथिला राज्य आ मिथिलांचल के लेल किछु एहन काज करू जे संपूर्ण भारत में मिथिला उदीयमान के रूप में जानल जाय. और आबय वाला पीढ़ी अहांके काज के प्रसंशा करै।

मिथिला राज्य निर्माण के अलावा मिथिलांचल के मान, मिथिलांचल के सम्मान, मिथिलान्चल के मर्यादा, मिथिलांचल के गौरव, मिथिलांचल के अतीत, मिथिलांचल के धरोहर और मिथिलावासी लेल अप्पन योगदान जरूर राखव . आखिर मिथिला स प्रतिनिधित्व करइ के बडका सौभाग्य भेटल अछि और ओ कहला हम जरूर प्रयास करब.

जय मिथिला जय मैथिली।

अपनेक
विभय कुमार झा
07 अगस्त 2013.
www.VKJha.in



Monday, September 24, 2012

ज्योति को इंसाफ चाहिए

बिहार के जाति के बंधनों में जकड़े इस सूबे के हालात पर चाहे जितना लिखा जाए,
कम ही होगा। लेकिन जाति ने कानून के हाथ भी बांध दिए हैं।

22 सितंबर की शाम मेरे मित्र गौरव गया के दौरे पर थे।
शाम में उनकी बातचीत शहर के मंगला गौरी मंदिर के
 पुजारी से हो रही थी। बातचीत के क्रम में ही प्रमोद कुमार वैद्य
(पुजारी) फफक कर रोने लग गए। गौरव के बहुत पूछने पर
 उन्होंने बताया तो कुछ नहीं, बस अपनी बेटियों की तस्वीर
 आगे कर दी। गौरव तस्वीर देखकर सन्न रह गए।

उनकी बेटी ज्योति पर एक मनचले ने तेज़ाबी हमला कर दिया था।
हमले में ज्योति और उनकी छोटी बहन श्रुति बुरी तरह घायल हो गए।
 ज्योति करीब 70 फीसद जल गई।
ज्योतिः हमले से पहले
























लेकिन इस मामले में दो साल बीत जाने पर अब तक कोई प्राथमिकी
 दर्ज नहीं की गई है।हुआ यों कि गया शहर की ज्योति से मुहल्ले के एक
मनचले टुनटुन कुमार को प्यार हो गया था। आए दिन वह ज्योति का
पीछा किया करता था। लेकिन ज्योति के विरोध के बाद एक दिन,
 अहिंसा के पुजारी बापू के जन्मदिवस 2 अक्तूबर को अहिंसा के
जन्मदाता महात्मा बुद्ध के स्थल गया में ज्योति पर तेजाबी
हमला कर दिया गया। इस हमले में ज्योति बुरी तरह जल गई
और उनकी बहन श्रुति भी बुरी तरह घायल हो गई।
यह घटना साल 2010 की है।


ज्योति तेजाबी हमले के बाद

जब श्री वैद इसकी शिकायत लेकर कोतवाली थाने गए तो थाना प्रभारी सी के झा ने प्राथमिकी दर्ज करने के एवज़ में दस हज़ार रूपयों की मांग की और नहीं देने पर प्राथमिकी दर्ज करने से मना कर दिया। टुनटुन (अभियुक्त) के पिता प्रदीप कुमार झा ने श्री वैद को जान से मारने की धमकी भी दी।

अब इस घटना को दो साल बीत चुके हैं, लेकिन आर्थिक रूप से असहाय वैद के सामने कोई रास्ता नहीं बचा। ज्योति अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को जारी रखने का मन बना चुकी है, लेकिन उसके पास इसका रास्ता नहीं...उसे नहीं पता कि आखिर उसे न्याय कैसे हासिल होगा।

आप सब इस पोस्ट को फेसबुक, ब्लॉग अपने अखबारों और बाकी सोशल साइट्स पर शेयर करें और ज्योति को कानूनी सहायता देने के लिए आगे आएं।

(यह पोस्ट मंजीत ठाकुर के ब्लॉग से लिया गया हैः http://gustakh.blogspot.in/2012/09/blog-post_24.html)



कोसी महासेतु के उद्घाटन -- फिर से सिमट आई दूरियां
श्यामानंद मिश्र, मधुबनी : तकरीबन आठ दशक से दो भागों में विभक्त मिथिला बुधवार को कोसी महासेतु के उद्घाटन के साथ एक हो गयी। दिल और दिमाग जो वर्ष 1934 से अलग बंट चुका था आज दोनों एक साथ जुड़ गया और मिथिलांचल अपने स्वरूप में आ गया है। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के बन जाने तथा महासेतु के निर्माण से मिथिलांचल की सामाजिक आर्थिक हालत तो सुधरेंगे ही दूरियां कम होने के साथ-साथ अब रिश्ते नाते भी बढ़ेंगे। भपटियाही और आसपास के क्षेत्रों का नाम सुन लोगों की रूह कांप जाते थे वहीं आज खुशियां दौड़ रही है। जिस समय केन्द्रीय मंत्री डा. सी.पी. जोशी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महासेतु का उद्घाटन फीता काटकर कर रहे थे। दोनों क्षेत्र मधुबनी व सुपौल जिला के हजारों नर-नारी फूले नहीं समा रहे थे। कोसी की प्रचंड धारा, उसकी त्रासदी दियरा इलाका जहां कभी लोग सोचे भी नहीं था कि ऐसा दिन आएगा। आज वे अपनी आंखों में इस अवसर को देख भावविह्वल तो थे ही कौतूहल भी कम नहीं था। सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज जाने में लोगों को कई दिन लग जाते थे वहां अब चंद घंटों में पहुंचा जा सकता है। यह कम बड़ी बात नहीं है। कोसी की विभीषिका से दो भागों में विभक्त मिथिला जिसकी संस्कृति, इतिहास, भाषा रहना सहन और आचार विचार एक रहते हुए एक-दूसरे से अलग हो चुका था। आज सब जुड़ गया है। अपराध से लेकर कई अन्य जघन्य कार्यो से चर्चित कोसी क्षेत्र में यह परिवर्तन असाधारण है।
ज्ञात हो कि 1934 तक निर्मली से सुपौल सहरसा जाने के लिे रेल मार्ग व सड़क मार्ग दोनों उपलब्ध था और लोग आराम से आते-जाते थे। रिश्ता-नाता भी खूब होता था लेकिन 1934 का भूकंप 1936 में कोसी का पदार्पण के साथ ही यह इलाका दो भागों में बंट गया। सड़क और रेल मार्ग दोनों ध्वस्त हो गए। तब से लेकर लोग इस महासेतु का बाट जोह रहे थे। हालांकि पूर्व रेल मंत्री स्व. ललित नारायण मिश्र जिनके अंदर कोसी क्षेत्र के लिए दर्द था उन्होंने काफी प्रयास इस महासेतु व मार्ग के लिए किया था। लेकिन उनके असामयिक निधन से इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भपटियाही पहुंचकर इस सेतु का आधारशिला रखे थे। ठीक आठ साल बाद गैमन इंडिया जिसे पुल निर्माण कार्य सौंपा गया था, उन्होंने पूरा कर दिखाया। आज यह सेतु जनता को सिपुर्द कर दिया गया है। इस महासेतु को मिथिलांचल की लाइफ लाइन भी कहा जा रहा है। समस्त मिथिलांचल में इस महासेतु के उद्घाटन के बाद खुशियों की लहरें हैं।



07/02/2012 , Madhubani  / Mithilanchal  / Bihar

मिथिलांचल स सीमांचल के दूरी आब सिमट गेल

कोसी वासि के सपना आई पूरा हुअ जा रहल अछि। आज स विकास के द्वार खोल देल जायत । मिथिलांचल स सीमांचल के दूरी आब सिमट गेल। ईस्ट-वेस्ट कारीडोर आ कोसी नदी पर बनल अहि महासेतु स जतय मिथिला के एकीकरण भ जायत त पूरा मिथिला आब पूर्वोत्तर राज्य स जुड़ जायत। आ इ सड़क सामरिक दृष्टिकोण स काफी महत्वपूर्ण साबित होयत।
100 साल पहिले दौड़त छल रेल
अंग्रेजों के जमाना में कोसी के बीच रेलखंड विकसित छल। एकर अस्तित्व 1911 तक कायम छल। आई के सरायगढ़ स्टेशन भपटियाही जंक्शन के रूप में अस्तित्व में छल। भपटियाही स गाड़ी निर्मली आ सुपौल के ओर चलैत छल। भपटियाही आ निर्मली के बीच रहरिया एक मात्र स्टेशन छल। 1934 में आयल भूकंप आ बाढ़ संपूर्ण रेलखंड के अपन चपेट में ल लेलक। कोसी के मुख्य धारा उम्हरे स बहैत छल। आ कोसी मिथिलांचल के भैगोलिक दृष्टिकोण स दू फांक में बांटी देलक।
कोसी के बीचोबीच गुजरैत छल लेटेरल रोड
दरभंगा-फारबिसगंज लेटेरल रोड सेहो एतय स गुजरैत छल। जे ओही समय राजमार्ग के नाम स जानल जैत छल। ललित बाबू जहैनी रेलमंत्री बनला त ओ अहि परियोजना के स्वीकृति दियेलैनी। लेकिन हुनक असामयिक निधन स इ कोसी वासि के लेल सपना भ गेल। लगभग 70 वर्ष के बाद 6 जून 2003 क तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा अहि महत्वाकांक्षी परियोजना के नींव राखल गेल। कोसी के लीला के कारण शुरुआती दिन में काफी कठिनाई के सामना करे पड़ल। मिथिलांचल के लेल इ सपना प्रतीत होयत छल।



बिहार अब सबसे कम भ्रष्ट राज्य
Dec 12, 2011
पटना, जागरण ब्यूरो
भ्रष्टाचार की जीरो टालरेंस नीति पर अमल करते हुए हाल के दिनों में नीतीश सरकार द्वारा उठाये गएकदम अब रंग दिखाने लगे हैं। दो प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों ने हाल में जो सर्वे किया है, उसमें बिहार देश कासबसे कम भ्रष्ट राज्य बनकर उभरा है। पिछले कुछ सालों से यह उपलब्धि गुजरात के नाम दर्ज थी,परन्तु बिहार ने इसे पछाड़ कर पहला स्थान हासिल किया है।

दिल्ली के सेंटर फार पालिसी रिसर्च के प्रोफेसर बिबेक देबराय और इंडिकस एनेलिस्ट के अध्यक्ष लवीशभंडारी के सर्वे में बिहार को सबसे कम भ्रष्ट राज्य की संज्ञा दी गयी है। इन दोनों जाने माने अर्थशास्त्रियों नेअपने सर्वेक्षण का नतीजा 'करप्शन इन इंडिया : द डीएनए एंड द आरएनए' नामक पुस्तक में प्रकाशितकिया है। यह सर्वेक्षण पारदर्शिता, उत्तरदायित्व एवं मानव विकास के सूचकांक पर आधारित है।

भ्रष्टाचार नियंत्रण के लिए उठाये गये कदमों के लिए बिहार को 0.88 अंक मिले हैं, जबकि इस मोर्चे परगुजरात ने 0.69 अंक स्कोर किया है। बिहार और गुजरात के बाद आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है।सर्वेक्षण के क्रम में विभिन्न स्त्रोतों से आंकड़े हासिल किये गए हैं, और इन्हें कई स्तर पर सत्यापितकिया गया है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार को एक 'बास्केट केस' के रूप में देखा गया। यह पाया गयाकि नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले छह सालों में बिहार की छवि में काफी सुधार हुआ है।

दूसरी ओर बिहार से करीब एक दशक पहले अलग हुए झारखंड की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। इसे दूसरासबसे भ्रष्ट राज्य करार दिया गया है। पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल है। सर्वे ने इस बात का भी खुलासाकिया है कि राजनीतिक स्थिरता का भ्रष्टाचार नियंत्रण से कोई लेना देना नहीं है। कुछ ऐसे राज्य भी हैं,जहां बहुत दिनों से एक ही सरकार है, वहां अधिक करप्शन है। इनमें उड़ीसा और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।बिहार में इस बदलाव के लिए सेवा का अधिकार कानून, विशेष न्यायालय कानूनन जैसी पहल कोसर्वेक्षण में श्रेय दिया गया है।

सर्वे में सबसे चौंकाने वाली बात यह उजागर हुई है कि देश में भ्रष्टाचार हर साल सौ प्रतिशत की रफ्तार सेबढ़ रहा है। आंकड़े के मुताबिक, 1990 में 31,546 करोड़ का देश में भ्रष्टाचार हुआ, जो 2010 में बढ़कर4,61,548 करोड़ का हो गया। वर्ष 2000 में यह आंकड़ा 1,00,095 करोड़ का था।

ग्राफिक्स

वर्ष भ्रष्टाचार का आकार

1990 31,546 करोड़

2000 1,00,095 करोड़

2010 4,61,548 करोड़