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"बिहारीक सम्मान लौटल"

देखू आई दिल्ली में अप्पन बिहारी लोक आ अप्पन पुरबिया लोक सब रोजी रोटी आ उच्च शिक्षा के तलाश अप्पन अप्पन प्रतिभा के रूप बिभिन्न जगह पर रही का जीवन यापन क रहल छैथ. कारण पाहिले बिहार में रोजगार नहीं छल . पलायन पराकाष्ट पर भा गेल ईच्छ , ओ तखन पता गैया जखन गाम जय छी. लोक सब जे पाहिले मिलेला आबय छलाह ओ सब कतय चल गेल्ह रोजी रोटी के तलाश में पता नहीं. कतेको स फ़ोन पर बात होइया आ कतेको के कउनु पता नै. इ हालात सन १९८० के दशक में शुरुआत भा गेल छल. आ १९९० के दशक में पूरा बिहार , मिथिला आ पूर्वांचल खाली भ गेल. देखू हम इ बात हरदम कहिये छी जे अप्पन घर परिबार आ प्रदेश के बेटा भाई कउनु जगह पर अगर डीएम , एस पी या कउनु अन्य पैघ पद पर काज का रहल छैथ ता ओ सचमुच में गौरव के बात अछि. परन्तु जखन कियो पेट चलबई लेल बिहार आ मिथिला स दूर रिक्शा चल्बैया , प्लेट धोइया , सब्जी बेचैया , पान दुकान चलबेत अछि आ हुनक कनिया लोक सबहक घर में झारू पोछा लगबै छैथ ओ सब देख बड अपमान आ शर्म स माथा झुकी जैया.

हालत एहन भ गेल छल जे कियो झुग्गी बस्ती में रही वाला लोक चाहे ओ कउनु प्रान्त के होइत वो दिल्ली वाला के नज़र में बिहारी अछि . अगर कुनो आदमी जे ख़राब कपरा पहिरने ऐच्छ , भेष भूषा नीक नै हेतैन , या फैक्ट्री में काज कराइ वाला ओ बिहारी ऐच्छ. आ सामने मजदूर या छोट काज कराइ वाला आदमीं अगर नज़र आबी गेलें त मुह स निकल जय छैन आ कहता साला बिहारी जा रहा है. मगर जखन बाद में ध्यान एतेन अरे विभय जी ख़राब लगी गेल हेतैन ओ ता अपने बिहारी छैथ . तखन सॉरी कह्त ध्यान नहीं रहा..साला मजदूर आ झुग्गी वाले लोग हैं.
बात एहन ऐच्छ जे जिनका हिंदी बाजै में मैथिली , भोजपुरी आदि के मिश्रण हेतैन , जिनका बच्चा सब के पढ़ाबाई आ लिखाबाई में चेष्टा नहीं ,कतौ छोट गलती में पकड़ा गेला , कामचोर आ आलसी हेताह , शराब दारू पीब क रोड पर नाटक करैत हेताह , चाहे ओ यु पी बिहार या अन्य प्रदेश के होइथ , जाहि में उपर्युक्त गूण देखल जाइछ प्रायः वो दिल्ली में हुनका बिहारी सुनय पर बाध्य होवा पडैत छैन.
ई अत्यंत आश्चर्य के बात अछि जे पंजाबी के मतलब पंजाब में रहै वाला , मद्रासी के मतलब मद्रास में रहै वाला , बंगाल में रहै वाला बंगाली होई छैक. परंतू बिहारी के अतेक विशेष कियाक ? भारत के १० प्रतिशत जनसंख्या के साथ एहन अपेक्षा , एहन दुर्व्यभार कियाक ? एही दुआरे की बिहारी गरीब ऐच्छ. बेरोजगारी ज्यादा ऐच्छ. पलायन ज्यादा भ गेल अछि. ? या फेर वो एना अपमान के क की साबित करय चाहैत छैथ ! जे दिल्ली बिहार स श्रेष्ट ऐच्छ ? इ बात दिल्लीये वाला नै दिल्ली में रहै वाला हरियाणवी , पंजाबी आदि सम्झैत अछि जे बिहार वाला स श्रेष्ट अछि.
एकता जबरदस्त कारण और बुझना जायत. यदि दिल्ली के बस, ट्रेन आदि भीड़ भाद वाला यातायात के साधन प्रयोग करू त सामान्यतः इ सुनल जा सकैत अछि :-
बिहारी चल खिसक .!!!!!!! आगे हो ले !!!!!!!! रिक्शा स्टैंड , बस स्टैंड , छायाक दूकान , पानक दूकान , सब्जी मार्केट या फैक्ट्री में सेहो बिहारी शब्द के धरल्ले स प्रयोग होइत अछि. :- जाना - ओय बिहारी ठीक से काम कर !!!! ओय बिहारी ठीक से रिक्शा चला. ओय बिहारी सही सही
तौल.!!!!!
हमर त एक बेर एकटा पैघ अधिकारी जे दिल्ली के रहै वाला स स जोरदार झगरा भ गेल. हम देखियें हर बात में हमर आ और बिहारी लोक सब के निचा देखाबिया में कउनु कसर नै छोरैया .. दिन बितैत गेल मगर एक दिन एहन परिस्थिति भ गेल जे बर्दास्त स फाजिल भ गेल. बात इ भ गेल जे ओ सबके सामने बिहारी बिहारी कही का अपमान करइ लागल. पुछ्लऊ ऐसे हमेशा क्यों करते हो ? हम ने तो कभी आपको कुछ नहीं कहा . तै पर ओ कहलक बिहारी की कोई औकात ही नहीं है , दिल्ली में ओ साला क्या बोलेगा हमारे सामने . बिहारियों ने तो दिल्ली में गंध फैला दिया है . बड ख़राब लागल. एतेक आदमी के सामने अपमान का देलक. मन खिसिया गेल . सबहक सामने ओकरा गुस्सा भरी शब्द में कहलियैक.. तुम किस बात पे अकड़ रहे हो. ? क्या तुम बहुत बड़े गुंडे हो ? क्या तुम्हे पास बहुत पैसा है ? क्या तुम्हे पास बहुत प्रतिभा है ? क्या तुम्हारे राज्य में बहुत इएस और इप्स ऑफिसर हैं. किस बात का अहंकार है ? क्या है तुम्हारे पास ? जवाब दो ???? तुम इन सभी में हमसे पीछे ही नहीं , बहुत पीछे हो अगर हम इन सभी में से किसी भी प्रतिभा को इकठ्ठा करने लग जाये तुम्हारे होश उड़ जायेंगे. आज छोटे हो ये बड़े काम हम बिहारी दिल्ली चला रहे हैं . और १ बात कान खोल के याद रखना की ओ दिन दूर नहीं की अपने प्रतिभा के बल पर बिहारी शब्द बहुत ही सम्मानजनक होगा. देश की राजधानी दिल में जैसे ही अधिकार पंजाबियों , मराठियों , गुजरातियों आ अन्य प्रान्त का है वैसे ही सामान अधिकार हम बिहारिओं का है. आ ओकर बाद ओ अप्पन गलती मानि क हाथ जोरी का माफ़ी मंगलक. आ अप्पन कहै पर बहुत अफ़सोस जाहिर केलक .
आई बिहारी अहाँ के भारत में कूनू प्रदेश कूनू जिला चली जाऊ ओताहिये बिहारी बड़ी तादात में भेइत जेताह , कतेक लोक त ओतिहिये अप्पन घर आँगन आ पावें त्योहआर सेहो कराइ लगलाह. परन्तु हमरा आब इ कहै में कतौ परेशानी नै भ रहल अछि जे वर्त्तमान में नीतीश कुमार के सरकार में हम बिहारी लोक सब दिल्ली में सम्मानित भ का संबोधित भ रहल छी. आब ऑफिस , बस , या रिक्शा वाला लोक सब स कियो अपमानजनक शब्द स संबोधन नै करै ईच्छ. . स्थिति में जबर्दश्त सुधर भेल अछि. आई दिल्ली आ पैघ शहर में बिहारी लोक सब स आब बड़ी आदर स बात करैया. आब त अगर अहाँ कउनु रिकशा वाला या किनको इ पुछ्बैं जे आप कहा के हैं त वो बड़ी विश्वास स कह्तः जी मैं बिहारी हु कोई बात क्या ? हमारा ता कखनो लगैया जे अप्पन मान सम्मान आ मर्यादा फेर स जना वापस भेट गेल . अगर इतिहास में नज़र डालब त हमर प्रान्त कहियो कमजोर नै रहल अछि. एतबे नहीं चाहे ओ गणितक क्षेत्र हो या विद्वताक या राजनितिक क्षेत्र हो बिहारी अप्पन बुध्धिमताक परिचय दैत रहित छथि . हमर संस्कृति , विद्वता ककरो स कम नै ईच्छ. कहै छई जे मिथिला आ बिहार के मैट में आ पैन में की छाई जे अतेक विद्वान पैदा होई छैक. हमारा त लगिय हमर प्रदेश अतेक कउनु प्रदेशक संस्कृति आ प्रतिभा हमर स कम्मे छैन. हम बिस्तार में नै जायब अपने सब के बुझल अछि.
देखू वर्त्तमान राजनितिक दल बिहार चुनाव में गेलाह त जात पात आ धर्मं स ऊपर उठी क विकास क बात केलाह , आ हुनकर बात क स्वीकार कई लोक सब जबरदस्त भरोसा केलैथ अछि. एह सोचि क जे आखिर सबस पिछरल अप्पन प्रदेश बिहार कहिया उन्नति क रास्ता पर जायत. कहिया हमसब नौकरी बिहारे में करब . कहिया हमर पति , हमर बेटा हमर बेटी जमाय दूर नै जाक अप्पनइ प्रदेश में नौकरी करताह. कहिया हमर बेटा एहिठाम अप्पन आखिके सामने पढाई लिखाई करताह.
देखैत 2 आई पंजाब हरियाणा महाराष्ट्र गुजरात बिकसित राज्य भ गेल अछि , मगर हम पछुये छी. .

आई वर्त्तमान सरकार के सामने बहुत बड़का चुनौती छैन जे लोक सब अप्पन घर प्रदेश छोड़ी का पलायन केने छथि. , हुनका बिहारे में सम्मान जनक रूप स वापसी आ रोजगार के साधन और शिक्षा व्यबस्ता करताह. तै में सचमुच बिहारक वर्त्तमान सरकार लगी गेल छथि. बहुत काज त भ इयो गेल. हमरा सब के लेल सचमुच में गौरव के बात अछि जे एहन समर्पित इमानदार जे सुशाशन आ विकास क रहल छैथ आ भर्ष्टाचार मिटबै लेल दृढसंकल्पित छथि.
अंत में १ टा और बात कहैत अप्पन बातक विराम देब जे हमरो सब के किछु कर्तब्य हेबाक चाही. गलत दृष्टिकोण स बिहारी नै कहाबई जाई जाऊ . उचित कार्य द्वारा जनता में श्रधाक बीज बोउ.. आ सम्मानजनक पूर्वक बिहारी बाबू आ बिहारी जी कहाबयक कोशीश कराइ जाऊ. मन में दबल हीन भावना के उखारू आ संपूर्ण भारतवर्ष टा में नहीं अपितु संपूर्ण जगत में अपन सभ्य मैथिल - भोजपुरी , बिहारक और पूर्वंचालक सभ्यता एबम संस्कृति व प्राचीन गौरव गरिमा के प्रत्यक्ष प्रदर्शित कए गौरव स पुनः बिहारी कहाऊ.
अपनेक ,
विभय कुमार झा