Thursday, May 12, 2016

"मथुरा - वृंदावन एवं आगरा टूर" -9 /10/11 अप्रैल 2016

देश की राजधानी दिल्ली से सटे बड़े धार्मिक स्थानों में "मथुरा - वृंदावन" में साक्षात् भगवान् का दर्शन करने की लालसा बचपन से ही थी। भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को अपने दिलो दीमाग में समेटने और जानने का मन बचपन से ही था। परन्तु व्यस्तता के कारण मन को दुःख होता था। धर्मपत्नी जी का पूजा - पाठ से लगाव एवं धार्मिक स्वाभाव होने के कारण शादी के बाद हमने मथुरा - वृंदावन के साथ आगरा का भी कार्यक्रम बनाया था। नई दिल्ली के ही रामकृष्ण आश्रम मार्ग मेट्रो स्टेशन के नीचे से निजी बस के टूर ने आगरा को छोड़ मथुरा - वृंदावन ठीक से नहीं दिखाया। 

मथुरा में कृष्णलला की जन्मभूमि को कभी वृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर कह देता तो वृंदावन के किसी गली में बने मंदिर को बांके बिहारी जी का मंदिर कह देता । दरअसल आगरा घुमाने के बाद बस वाले को सवारियों को खरीदारी करवाने की ज्यादा चिन्ता थी ताकि उनका खरीदारी के बाद कमीशन ठीक ठाक बन सके। इसलिए मथुरा - वृंदावन पहुँचते पहुँचते रात हो गयी और हम कुछ भी देख नहीं पाये।

मगर पिछले हफ्ते बिटिया के जन्मदिन पर बाँके बिहारी जी की कृपा से कार्यक्रम बन गया और हम पुरे एक - एक दिन मथुरा - वृंदावन में रूक कर वहां पूजा अर्चना की और कृष्णलला की लीलाओं को नज़दीक से देखकर मन को तृप्त कर लिया। भगवान् से आग्रह किया फिर जल्द ही टूर बनाऊंगा - यह कहकर वापस दिल्ली के लिए निकला गया। 


अरे हाँ एक बात तो बताना भूल ही गया - बिटिया को ताजमहल देखने की बड़ी इच्छा थी, हर समय ताज़महल की फ़ोटो देख एक ही बात पूछती - "डेड हम यहाँ घूमने गये हैं कभी" ??? "मुझे तो बिलकुल याद नहीं आ रहा" !!!!!! सो इस टूर में हमने आगरे को भी एड कर खूब मस्ती की।


बोलो बांके बिहारीलाल की जय - विभय कुमार झा

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