Thursday, May 12, 2016

याद्गार लम्हें को कैमरे में क़ैद करने का मौका मिला।

एक बड़े याद्गार लम्हें को कैमरे में क़ैद करने का मौका मिला। दरअसल इस फोटू को एक परिवार के विभिन्न सम्बन्धों को एक जग़ह लाने का श्रेय प्राप्त हुआ है। लगता है आप कॉन्फ्यूज हो गए। वैसे सम्बन्धों को समझने में मैं भी थोड़ा भुस्कोल हूँ। चलिए मैं भी समझता हूँ और आपको भी समझाता हूँ। 

यह मेरे ससुराल और मेरे साले साहेब के ससुराल नहीं नहीं। .. मेरी धर्मपत्नी जी के भाई की साली। ओह ऐसे नहीं समझ आएगा।

रुकिये बाएँ से समझते हैं।
मेरे बड़े साले साहेब श्री राजेश ठाकुर जी, उनके बगल में उन्हीं के भाई श्री सोनू ठाकुर जी, उनके बगल में उन्हीं की बहन श्रीमती रूपम झा जी, उनके बगल में ओह यहाँ तक आसान था अब थोड़ा मुश्किल है ,,, हहाहा। .. मेरी धर्मपत्नी जी की भाभी की भाभी यानि मेरे साले साहेब के साले साहेब की नई नवेली दुल्हन जी, हाँ अब ठीक है और उनके बगल में उन्हीं की ननद यानि मेरी धर्मपत्नी जी की भाभी की बड़ी बहन या फिर यूँ कहें मेरे साले साहेब की बड़ी सालीजी एवं उनके बगल में मेरे साले साहेब की दिलरुबिया यानि धर्मपत्नी जी यानि मेरी धर्मपत्नी जी की भाभीजी और मेरी सरहोज जी एवं उनके बगल में दर्शक दीर्घा । हहहा ,,, ओह पहले आसान था मगर बीच में थोड़ा मुश्किल था। यह सब बेहतरीन यादगार लम्हा एक पारिवारिक कार्यक्रम के दौरान कैमरे में कैद हो गया।

उम्मीद करता हूँ आप समझ गए होंगे अगर इनकेस मैंने समझाने में कोई ग़लती की हो और आपको समझ नहीं आया तो माफ़ कर दीजिएगा। बहरहाल इस यादगार लम्हे एवं अनूठे सम्न्धों को ड्राइंग रूम में लगाने के लिए पास में ही फ़्रेम बनबाने फ़ोटो स्टूडियो में भेज दिया है।

शुरू से मेरे साथ धैर्य रखने के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यबाद - विभय कुमार झा

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